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Friday, 7 September 2018

सुभासित


पुनर्वित्तं  पुनर्मित्रं ,पुनर्भार्या पुनर्मही | 
ऐतत्सर्वं  पुनर्लभ्यम , न शरीरं पुनः पुनः || 

अथार्त --यद्पि धन ,सम्पति ,मित्र ,स्री ,राज्य  बार बार मिल जाते है | लेकिन मनुष्य शरीर केवल एक बार ही मिलता है | एक बार नस्ट हो जाने के बाद  पुनः नहीं मिलता | 

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