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Saturday, 8 September 2018

दृढ़ इरादों से मिलती है सफलता

 कोई भी कार्य कितना ही जटिल क्यों ना हो यदि मजबूत इच्छाशक्ति हो तो अंततोगत्वा उसे पूरा करने में सफलता हासिल होती ही है |  यह कहानी है लंदन के बालवर्ध  उपनगर की जो अपराधियों की बस्ती के रूप में जाना जाता था |  यहां के अधिकांश निवासी निर्धन और अशिक्षित थे|  इसी वजह से अपराध का ग्राफ काफी ऊपर था | बस्ती के इस प्रदूषित माहौल ने बच्चों को भी अपनी चपेट में ले लिया था  | छोटे-छोटे बच्चे भी गलत कार्यों में संलग्न थे |  ऐसे समय में यहां 1 दिन एक युवक कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से अपनी शिक्षा पूर्ण करके आया  | उसने पहले बस्ती के लोगों से परिचय बढ़ाया और धीरे-धीरे उनके साथ घुल मिल गया |  जब सभी उसे पसंद करने लगे तब उसने अपने छोटे कमरे में पहले बस्ती के बच्चों को पढ़ाना आरंभ किया |  वह उन्हें दैनिक जीवन की छोटी किंतु महत्वपूर्ण बातें बताता और उदाहरणों से अपनी बातों को स्पष्ट करता  | फिर धीरे-धीरे वह उन्हें उत्तम संस्कार देने लगा बस्ती के लोगों को महसूस हुआ कि यह व्यक्ति उनके बच्चों को सही शिक्षा दे रहा है ,क्योंकि उन्होंने बच्चों में काफी सुधार महसूस किया  |  इससे  बस्ती के लोगों में युवक के प्रति विश्वास बढ़ा |  युवक ने अपने काम को आगे बढ़ाते हुए लोगों से कहा हर रविवार आप सभी  कक्षा में आया करे |  वे लोग तैयार हो गए युवक ने उन्हें तैयार किया कि वे सप्ताह में एक दिन कोई अपराध न करें  | युवक की अच्छाई से अभिभूत लोगों ने इसे भी स्वीकार कर लिया फिर लोगों ने स्वयं ही तय किया कि वे 4 दिन तक कोई अपराध नहीं करेंगे |  धीरे-धीरे वॉलवर्ध  का पूर्णता कार्यकलाप हो गया |  और वह सभ्य समाज का एक अंग बन गया |  वह समाज सुधारक युवक बाद में भारत आया जिसे सीएफ एडरयूज  (दीनबंधु) के नाम से जाना जाता है |  यह सत्य कथा संकेत करती है कि यदि संकल्प दृढ़ हो तो मार्ग में आने वाली बाधाएं हट जाती हैं  | और सफलता के द्वार खुलते जाते हैं कार्य कितना ही जटिल क्यों ना हो यदि मजबूत इच्छाशक्ति हो तो अंततोगत्वा सफलता प्राप्त होती ही है | 

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