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Thursday, 13 September 2018

बढ़ना ही अपना काम है


        बढ़ना ही अपना काम है 


                  आँधी  क्या है   तूफान   मिले , चाहे  जितने  व्यवधान  मिले ,
                  बढ़ना  ही  अपना काम है , बढ़ना  ही  अपना  काम  है || 

                  हम  नई  चेतना   की  धारा, हम  अंधियारे  में   उजियारा ,
                  हम  उस  ब्यार  के  झोंके हैं , जो हरले सब का दुःख  सारा || 

                  बढ़ना  है शूल मिले तो  क्या, पथ पर अंगार  पीछे   तो क्या ,
                  जीवन  में  कहाँ  विराम  है , बढ़ना  ही  अपना  काम  है | |

                  हम  अनुयायी  उन  पाँवों के , आदर्श  लिए  जो  खड़े   हुए ,
                  बाधाएँ  उन्हें  डिगा न  सके ,  जो  संघर्ष  पर   अड़े   हुए  || 

                  सिर पर  मंडराता  काल  रहे ,करवट  लेता   भूचाल   रहे ,
                  पर  अमिट  हमारा  नाम है ,बढ़ना  ही  अपना  काम  है || 
                  
                  वो  देखो  पास  खड़ी  मंजिल ,  इंगित  कर  हमें  बुलाती  है ,
                  साहस   से  बढ़ने  वालों  के , माथे  पर  तिलक  लगाती है || 

                  साधना  व्यर्थ न कभी जाती ,  चलकर ही मंजिल  मिल पाती , 
                  फिर क्या  बादल क्या घाम है ,  बढ़ना  ही  अपना  काम  है || 
                  बढ़ना  ही  अपना  काम  है ......................

Saturday, 8 September 2018

नोजवाँ बढ़े चलो की देश का सुधर हो

"नोजवाँ  बढ़े चलो की देश का सुधर हो "

गाँव की गुहार पर कॉम की पुकार पर ,
नोजवाँ  बढ़े चलो की देश का सुधर हो |

राग एक चाहिए की भावना मचल उठे ,
चिराग एक चाहिए की लक्ष्य दिप जल उठे | 
एक रेक, एक टेक,  एक ही विचार हो |
नोजवाँ बढे चलो .................||

अन्न की की न हो भूख ज्वर  कहीं न हो ,
धरा दुखी न दीन हो न तन वसन विहीन हो | 
गॉव घर गली गली सुज्ञान का प्रचार हो  ,
नोजवाँ बढे चलो .................||

हो नवीन भावना की बाहु बल संभाल हो ,
हो नवीन चेतना की हाथ में मशाल हो | 
शक्ति  साधना  करो की  उद्धार हो  ,
नोजवाँ बढे चलो .................||


स्वयं अब जागकर हमको

स्वयं अब जागकर हमको । जगाना देश है अपना ।

स्वयं अब जागकर हमको । जगाना देश है अपना ।।

 हमारे देश की मिट्टी , हमें प्राणों से प्यारी है ,
यही के अन्न जल वायु , परम श्रद्धा हमारी है ।
स्वभाषा है हमें प्यारी , हो प्यारा देश है अपना ।|
जगाना देश है अपना........


नही हे अब समय कोई , गहन निद्रा में सोने का ।
समय है एक होने का , न मतभेदों में खोने का ।
बढ़े बल राष्ट्र का जिससे , वो करना मेल है अपना ।
जगाना देश है अपना........


 जतन हो संगठित हिन्दु , सक्रिय भाव भरने का ।
जगाने राष्ट्र की भक्ति , उत्तम कार्य करने का ।
सम उन्नत राष्ट्र हो भारत , यही उद्देश्य है अपना ।
जगाना देश है अपना.......

Friday, 7 September 2018

नदिया ना पिए कभी अपना जल

नदिया ना पिए कभी अपना जल, 

वृक्ष ना खाए कभी अपने फल ।

अपने तन को  मन को  धन को देश  को दे जो दान रे ,
वो सच्चा इंसान रे , वो सच्चा इंसान रे ॥


चाहे मिले सोना चांदी .....
चाहे मिले रोटी बासी | 
महल मिले बहु सुखकारी......
चाहे मिले कुटिया खली | 
प्रेम और सांतोस भाव से करता जो स्वीकार रे | 
वो सच्चा इंसान रे , वो सच्चा इंसान रे 


 चाहे करे निंदा कोई.......
चाहे कोई गुण गान करे| 

फूलों से  सत्कार करे.........
कांटो  की चिंता न करे  ।

मान और अपमान ही दोनों, जिसके लिए सामान रे |  ,
वो सच्चा इंसान रे , वो सच्चा इंसान रे ॥