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Saturday, 8 September 2018
Friday, 7 September 2018
अश्वं नैव गजं नैव व्याघ्रं नैव च नैव च |
अजापुतरं बलिं दघात देवो दुर्बल घातकः ||
अथार्त :-बलि किसकी दें ? अश्व की ? नहीं हाथी की ? नहीं शेर की ? नहीं नहीं | बकरी के बच्चे की बाकि दें ,क्यूंकि देवता भी दुर्बलों पर घात करते हैं |
अजापुतरं बलिं दघात देवो दुर्बल घातकः ||
अथार्त :-बलि किसकी दें ? अश्व की ? नहीं हाथी की ? नहीं शेर की ? नहीं नहीं | बकरी के बच्चे की बाकि दें ,क्यूंकि देवता भी दुर्बलों पर घात करते हैं |
परोपकाराय फलन्ति वृक्षः ,
परोपकाराय वहन्ति नध:|
परोपकाराय दुहन्ति गाव:,
परोपकारार्थम्मिद्म् शरीरं ||
आथर्त ---दुसरो की भलाई के लिए वृक्ष फल देते हैं | | दूसरों को जल देने के लिए नदियां बहती है | गाय भी दूसरों के लिए दूध देती है | भगवन ने हमें जो शरीर दिया है यह भी परोपकार करने के लिए दिया है | हमें अपने शरीर को समाज कलयाण में लगाना चाहिए |
परोपकाराय वहन्ति नध:|
परोपकाराय दुहन्ति गाव:,
परोपकारार्थम्मिद्म् शरीरं ||
आथर्त ---दुसरो की भलाई के लिए वृक्ष फल देते हैं | | दूसरों को जल देने के लिए नदियां बहती है | गाय भी दूसरों के लिए दूध देती है | भगवन ने हमें जो शरीर दिया है यह भी परोपकार करने के लिए दिया है | हमें अपने शरीर को समाज कलयाण में लगाना चाहिए |