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Friday, 14 September 2018

प्राचीन भारत के पांच अद्भुत अविष्कार

प्राचीन भारत के पांच अद्भुत अविष्कार:-

 सदियों पहले भारत पूरी दुनिया का विश्व गुरु था|  इसे सोने की चिड़िया कहा जाता था|  भारत के बिना विज्ञान की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी | भारत में ऐसे कई प्राचीन ग्रंथ है जो अपने आप में कई वैज्ञानिक रह्शय समेटे  हुए हैं | भारत के  ऋषि-मुनियों ने कई ऐसी खोजें और जानकारियां पूरी दुनिया को दी है जिनके कारण ही आज आधुनिक विज्ञान का अस्तित्व है | थॉमस  एडिसन  ने भी अपनी लिखी गई पुस्तक में कहा है कि वे बिजली का आविष्कार ऋषि अगस्त के ग्रंथ अगस्त संहिता को पढ़ने के बाद ही कर पाए|  शून्य की खोज ,प्राचीन शल्य  चिकित्सा, बीज गणित ,परमाणु, ब्रमांड से जुड़े अनेकों रहस्यों की खोज सबसे पहली भारत में ही की गई थी |  हालाकि भारत में की गई खोजो क्या तो भुला दिया गया या  फिर विदेशियों ने उस पर अपनी नाम की मोहर लगा ली|  यहां पर ऐसे पास खास अविष्कारों के बारे में बताया गया है जो सबसे पहले भारत में ही  की गए थे | 
1.  बटन:- 
देखने पर बटन एक मामूली सी चीज लगती है |  लेकिन इसका महत्व कितना है वह सभी को पता है सबसे खास बात यह है कि प्रचीन  समय से लेकर आज तक बटन में कोई खास बदलाव नहीं किया गया है | मोहनजोदड़ो की खुदाई से यह बात पूरी दुनिया में सिद्ध हो चुकी है कि बटन का अविष्कार सबसे पहले भारत में किया गया था |  मोहनजोदड़ो के खंडर की  खुदाई के दोरान ऐसे बहुत से पुराने  कपड़े बहुत ही  खराब हालत में मिले जिन पर पत्थर के बटन लगे  हुए थे | 

2. पहिया :-
पहिए का आविष्कार मानव  सभ्यता  के इतिहास की महत्वपूर्ण खोजो में से एक माना जाता है | पहिये  का आविष्कार होने से इंसान का बहुत सा काम आसान हो गया था  | प्राचीन लेख  और ग्रंथों से यह  सिद्ध होता है कि पहिए का अविष्कार भारत में लगभग 5000 से 8000 वर्ष पूर्व ही हो गया था |  इसी आविष्कार के बाद बैलगाड़ी, साइकिल ,कार और हवाई जहाज  तक का  सफर आसान हुआ | पच्शिमी विदेशों के वैज्ञानिक पहिये के  अविष्कार का श्रेय  इराक को देते हैं | जबकि इराक एक रेगिस्तानी  देश है | और वहां के  लोगों से सदियों से ऊंट  की सवारी करते रहे हैं | आज से लगभग 2500  और 3000 वर्ष पूर्व विश्व के सबसे प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेषों से प्रप्त खिलौना  बैलगाड़ी भारत के  राष्ट्रीय संग्रहालय में प्रमाण स्वरुप रखी गई है जिसमें पहले हुए हैं जिस से सिद्ध होता है की पहिये का अविष्कार भारत में हुआ है | 

3. शल्यचिकित्सा :-

शल्य चिकित्सा और प्लास्टिक सर्जरी के आविष्कार से दुनिया में सुंदर दिखने के लिए एक नई क्रांति आ गई | इसके अलावा प्लास्टिक सर्जरी से और भी कई अविकसित अंग और  बीमारियों को ठीक किया जाने लगा | आज के  वैज्ञानिकों का मानना है कि प्लास्टिक सर्जरी आधुनिक विज्ञान की देन है |  लेकिन भारत में सुश्रुत को पहला शल्य चिकित्सक माना जाता है|  आज से करीब 3000 वर्ष पहले सुश्रुत लोगों को शल्य  चिकित्सा और प्लास्टिक सर्जरी के माध्यम से ठीक करते थे | सुश्रुत ने 1000 ई०  पूर्व ही अपने  समय के  स्वास्थ्य वैज्ञानिकों के साथ प्रसव  और मोतियाबिंद ,कृत्रिम अंग लगाना पथरी का  इलाज और  प्लास्टिक सर्जरी जैसी कई तरह के जटिल सिद्धांत प्रतिपादित किए थे| 

4. अस्त्र-शस्त्र :-

अस्त्र -शस्त्र, तीर ,धनुष, भाला, तलवार जैसे हथियारों का आविष्कार भारत में ही हुआ है | इसके अलावा वेद और पुराणों में अग्नि अस्त्र और ब्रमांड अस्त्र जैसी संघारक अस्त्रों का जिक्र है |  आधुनिक समय में परमाणु हथियार के जनक जे रोबर्ट ओपन हैमर ने  गीता और महाभारत का गहन अध्यन किया था | उन्होंने महाभारत में बताएं गये ब्रह्मास्त्र की संहारक   क्षमताओं परसशोध किया |और  अपने मिशन का नाम दिया" ट्रिनिटी"  रोबर्ट के नेतृत्व में 1939 और 1945 के बीच  वैज्ञानिकों कीया और 16 जुलाई 1945 को पहला परीक्षण किया |  परमाणु सिद्धांत का जनक जॉन डोनाल्ट  को माना जाता है लेकिन उससे भी 900 वर्ष पहले ऋषि कणाद  ने वेदो में लिखें सूत्रों के आधार पर परमाणु सिद्धांत का प्रतिपादन किया था|  भारतीय इतिहास में ऋषि कणाद को  परमाणु सिद्धांत का जनक माना जाता है | उन्होंने बताया था कि द्रव्य के भी परमाणु होते है | एक इतिहासकार टीएन कलेबोर्क अपनी बुक में लिखते है की एक समय ऐसा था जब अणु शास्त्र में आचार्य कणाद और दुसरे भारतीये विज्ञानिक यूरोपीय वैज्ञानिको की तुलना में बहुत आगे थे |

5. विमान :-
 

पूरी दुनिया को यह बात बताई जाती है की विमान का आविस्कर राईट ब्रदर्स ने किया किया है,लेकिन भारतीये इतिहास को पलटकर देखा जाये तो इसका श्रेय भारत को ही जाता है |आधुनिक विज्ञानं की दृष्टी से देखा जाये तो आज के जो विमान है उनकी खोज राईट ब्रदर्स ने की होगी | लेकिन उनसे हजारो वर्ष पहले महर्षि भारद्वाज ने विमान शास्त्र लिखा था जिसमे हवाई जहाज बनाने की विधि का वर्णन मिलता है | महर्षि भारद्वाज द्वरा लिखित विमान शास्त्र में एक उड़ने वाला यंत्र यानि की विमानो के कई प्रकर के वर्णन मिलते है | इसके अलावा हवाई युद्ध के नियम और प्रकार का भी वर्णन मिलता है | उन्होंने विस्तार से लिखा है की गोदा एक असा विमान था जो गायब हो सकता था | स्कंध पूरण के खंड 3 अध्याय 23 में उलेख मिलता है की ऋषि कर्दम ने अपनी पत्नी के लिए एक विमान की रचना की थी जिसके द्वारा आकाश मार्ग से कहीं भी आया जाया जा सकता था | रामायण में भी पुष्पक विमान का उल्लेख मिलता है | लेकिन दुर्भाग्य से भारत में हुए इन आविष्कारों पर विदेशियों ने अपनी मोहर लगा ली |

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