sangh dhara, BIOGRAPHY, FACT, GEET, HINDI POEMS, HISTORY, PRAYER ,SCIENCE, STORY, TRUE STORY, success story

Recent Post

Responsive Ads Here

Friday, 7 September 2018

नदिया ना पिए कभी अपना जल

नदिया ना पिए कभी अपना जल, 

वृक्ष ना खाए कभी अपने फल ।

अपने तन को  मन को  धन को देश  को दे जो दान रे ,
वो सच्चा इंसान रे , वो सच्चा इंसान रे ॥


चाहे मिले सोना चांदी .....
चाहे मिले रोटी बासी | 
महल मिले बहु सुखकारी......
चाहे मिले कुटिया खली | 
प्रेम और सांतोस भाव से करता जो स्वीकार रे | 
वो सच्चा इंसान रे , वो सच्चा इंसान रे 


 चाहे करे निंदा कोई.......
चाहे कोई गुण गान करे| 

फूलों से  सत्कार करे.........
कांटो  की चिंता न करे  ।

मान और अपमान ही दोनों, जिसके लिए सामान रे |  ,
वो सच्चा इंसान रे , वो सच्चा इंसान रे ॥

No comments:

Post a Comment