भारत का भूगोल ज्ञान -
हमारे वेद ,पुराणों में भूगोल की वो जानकारी है जो आज के आधुनिक युग को भी पीछे छोडती है| लेकिन हम लोगो के उपर पश्चिम का भूत सवार है ,हम मानते है की जो भी ज्ञान आज दुनिया में है वो पश्चिम के देशों से आया है | लेकिन यह सही नही है आज मै आपके सामने एसे उद्धरण पेश करूंगा जो आपकी सोच को बिलकुल बदल कर रख देंगे |
1. अफ्रीका महाद्वीप को पुराणों में अंधकार द्वीप कहते है | जब इंग्लेंड में मिश्र की नील नदी की खोज शुरू हुई तो उस मिशन की कमांड जान स्पीकी को दी गयी | 1859 में उसने नील नदी के उद्गम की खोज की यात्रा आरंभ कर दी और 1862 में वह मील नदी के उद्गम स्थल विक्टोरिया झील पहुँच गया | फिर 1863 में उसने एक बुक लिखी जिसमे उसने उस यात्रा के बारे में सब लिखा था और उस बुक का नाम था "journal of the discovery of the sources of the nile " इस बुक में वह लिखता है की "इस खोज के समय मेरे मित्र कर्नल रूबी ने मुझे विल्फ्रेड द्वरा बनाये हिन्दू पुराणों अनुसार नील नदी के नक़्शे तथा एक ५० पाज का निबंध दिया | जिसकी मदद से ही मै अपने गंतव्य तक पहुँच पाया "
इस बुक के पहले पन्ने पे वह नक्शा छापा है जिसपे लिखा है "काली अथवा महा कृष्णा नदी का मार्ग हिन्दू पुराणों के अनुसार ".
2. पुराणों में अफ्रीका महाद्वीप को शंख द्वीप कहते है | आज हम अगर विश्व के नक़्शे को देखेगें तो हमें पता चल जायेगा की अफ्रीका की आक्रति शंख के सामान है | वहां के भोगोलिक नाम आज भी पुराणों से मिलते है माली सुमाली ये अफ्रीका खंड के 2 प्रदेशो के नाम है और ये नाम रावन के सम्बन्धियों के है जिनका जिक्र रामायण में आता है |रामायण में वर्णित सुन्द -उपसुन्द नामक असुरो के नाम से यहाँ जनजातियाँ भी है |
3.बाल्मीकि रामायण में भूगोल के संबंध में पूर्व ,पश्चिम ,उतर, दक्षिण दिशाओं के बारे में जिक्र आता है जिसमे सुग्रीव वनरो को सभी दिशाओं में भजते हुए बोलते है की "मै आकाश मार्ग से जब जा रहा था तो प्रथ्वी घुमती हुई दिखाई दी"| विज्ञानं ने यह अभी कुछ 100 सालो पहले यह बताया है लेकिन सुग्रीव ने तो यह कितने वर्षों पहले बता दिया था | इसके आगे सुग्रीव वनरो को बताते है की उन्हें किस दिशा में क्या क्या मिलेगा | उन्होंने उतर दिशा में जाने वाले दल को कहा की हिमालय को पार करने के बाद एक बर्फीला इलाका आएगा उसमे बहुत आगे जाने के बाद एक सिसिर परदेश (सीबेरिया) आएगा जो ध्रुव का अंतिम कोना होगा | इसके आगे मत जाना क्यूंकि इसके आगे कोई इन्सान नही रहता | सुग्रीव ने भूगोल के बारे में जो वर्णन किया है ,यदि आज के युग में उसका विश्लेषण किया जाये तो एक आश्चर्य लगेगा |
4. पुराणों में पर्थ्वी का एक नाम अग्निगर्भा आता है | आज विज्ञानं का छात्र तो जनता है की धरती बहार से सीतल लेकिन अंदर से जलता हुआ लावा है | लेकिन पुराणो में इसका वर्णन बहुत प्राचीन समय से है |
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