तक़रीबन 30 0 वर्ष पहले तक जब अंग्रेजो ने अपना संप्रभुत्व भारत पर स्थापित नहीं किया था भारत अपनी तकनिकी के कारण वस्र उद्घोग में दुनिया में शीर्ष पर था | इजिप्ट से लेकर रोम तक भारतीय कपडे के कारण ही कपडे का व्यापर चलता था इसके परे में अनेक विदेशी लेखकों ने लिखा है | उन्होंने लिखा है की "जहाँ भी आपको कलात्मक और सूंदर वस्त्र मिलेंगे तो समझ लो की वे भारत के बंगाल , कोरोमंडल और अवंतिका में ही बने होंगे |
इन वस्त्रो के बारे में अनेक कथाएँ चली हुई है
- एक बार ओरंजेब की पुत्री दरबार में आयी तो उसका सारा शरीर वस्त्रों के अंदर से दिख रहा था | ओरंजेब एक कटटरपंथी शासक था लेकिन वह अपनी बेटी से बहुत प्रेम करता था | उसे अपनी बेटी की ऐसी स्थिति पर गुस्सा आया और उसने कहा की बेशर्म ,बेहया तुझे शर्म नहीं आती | ऐसे कपडे पहनकर लोगों को अपना बदन दिखते हुए | तब उसकी पुत्री ने कहा , मै क्या करू मेने इस कपडे को सात बार तह करके पहना है इसके बाद भी यही स्थिति है | इससे यही पता चलता है की भारत में कितना महीन कपडा बनता था |
ढाका की मलमल के बारे में हम सुनते है की एक अंगूठी के अंदर से पूरा थान निकाला जा सकता था | इलाइची के खोल के अन्दर एक कपडा आजाता था |
- एक बार एक अरब देश का एक राजदूत भारत से अपने देश गया | उसने आपने राजा को एक नारियल भेंट दिया | उस नारियल को जब दरबार में तोडा गया तो उसके अंदर से एक 30 yard लम्बा कपडे का थान निकला जो की साबुत है की भारत में कितना महीन कपडा बना लेते थे |
प्राचीन समय के विदेशी लेखकों ने भारतीय कपड़ों को अनेक सुंदर नाम दिए हैं जैसे कि कोई कविता गा रहे हैं मयूर कंठ बुलबुल की आंख संध्या की ओस बसती हवा बहता पानी आदि
Mr. Joseph back को उनके मित्रों ने ढाका की मलमल का एक टुकड़ा भेंट किया जिसका वजन 34 ग्रेन था | एक पौंड में 7000 ग्रेन होते हैं जिसमें 198 धागे थे उस कपड़े का धागा लंबा करें तो वह 1029 गज का बनता था जिसका मतलब एक ग्रेन में 29. 98 गज धागा था| इसका मतलब है 2425 अकाउंट का धागा| आज के विकसित और आधुनिक युग में 500 अकाउंट से अधिक का कोई धागा नहीं बनता| ऐसे वर्णन उसने कंपनी को लिखकर भेजा था|
इसके बाद अंग्रेजो ने भारत के वस्त्र उघोग को ख़तम करने के लिए बसे जोरों से प्रयास किये | उन्होंने भारतीय कपडे पर अधिक tax लगा दिए ताकि महँगा होने के कारण लोग इसे न पहने | लेकिन लोगो ने पहनना नहीं छोड़ा | बाद में कपडा पहनने पर जेल की सजा ,जुरमाना लगा दिया | कपडा बनाने वाले कारीगरओ के अंगूठे कटवा दिए | जिसके कारन भारत का कपडा उद्योग नस्ट हो गया |
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