बढ़ना ही अपना काम है
आँधी क्या है तूफान मिले , चाहे जितने व्यवधान मिले ,
बढ़ना ही अपना काम है , बढ़ना ही अपना काम है ||
हम नई चेतना की धारा, हम अंधियारे में उजियारा ,
हम उस ब्यार के झोंके हैं , जो हरले सब का दुःख सारा ||
बढ़ना है शूल मिले तो क्या, पथ पर अंगार पीछे तो क्या ,
जीवन में कहाँ विराम है , बढ़ना ही अपना काम है | |
हम अनुयायी उन पाँवों के , आदर्श लिए जो खड़े हुए ,
बाधाएँ उन्हें डिगा न सके , जो संघर्ष पर अड़े हुए ||
सिर पर मंडराता काल रहे ,करवट लेता भूचाल रहे ,
पर अमिट हमारा नाम है ,बढ़ना ही अपना काम है ||
वो देखो पास खड़ी मंजिल , इंगित कर हमें बुलाती है ,
साहस से बढ़ने वालों के , माथे पर तिलक लगाती है ||
साधना व्यर्थ न कभी जाती , चलकर ही मंजिल मिल पाती ,
फिर क्या बादल क्या घाम है , बढ़ना ही अपना काम है ||
बढ़ना ही अपना काम है ......................
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