"नोजवाँ बढ़े चलो की देश का सुधर हो "
गाँव की गुहार पर कॉम की पुकार पर ,
नोजवाँ बढ़े चलो की देश का सुधर हो |
राग एक चाहिए की भावना मचल उठे ,
चिराग एक चाहिए की लक्ष्य दिप जल उठे |
एक रेक, एक टेक, एक ही विचार हो |
नोजवाँ बढे चलो .................||
अन्न की की न हो भूख ज्वर कहीं न हो ,
धरा दुखी न दीन हो न तन वसन विहीन हो |
गॉव घर गली गली सुज्ञान का प्रचार हो ,
नोजवाँ बढे चलो .................||
हो नवीन भावना की बाहु बल संभाल हो ,
हो नवीन चेतना की हाथ में मशाल हो |
शक्ति साधना करो की उद्धार हो ,
नोजवाँ बढे चलो .................||
गाँव की गुहार पर कॉम की पुकार पर ,
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