हाल ही में कार्बन डेटिंग से पता चला है कि शून्य की मौजूदगी का सबसे पहला रिकॉर्ड हमारे अब तक के ज्ञान से भी पुराना है | यह जानकारी एक प्राचीन भारतीय पांडुलिपि में मिले प्रमाण से मिलती है 1902 से ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में रखी गई बखशाली पांडुलिपि की तीसरी या चौथी शताब्दी की बताई जा रही है | इतिहासकारों के पास इस पांडुलिपि के बारे में जो जानकारी थी उससे यह कई सौ साल पुरानी बताई जा रही है| यह पांडुलिपि पाकिस्तान के पेशावर में 1881 में मिली थी जिसके बाद में इसे ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड में बड़लियन लाइब्रेरी में रखा गया था | बड़लियन लाइब्रेरी से रिचर्ड ओवेनडेन कहते हैं कि यह नई जानकारियां गणित के इतिहास के लिए काफी महत्वपूर्ण है प्राचीन भारत में गणित में इस्तेमाल होने वाला बिंदु समय के साथ सुनने के रूप में विकसित हुआ और इसे पूरी कुंडली में देखा जा सकता है लाइब्रेरी के मुताबिक से प्रारंभिक तौर पर संख्या प्रणाली में कर्म के ग्रुप बनती है बनती थी लेकिन समय के साथ में क्षेत्र विकसित हुआ पहले के शोध में लिखो 8 वीं शताब्दी के बीच माना जा रहा था लेकिन कार्बन डेटिंग के मुताबिक यह कई सदियों पुरानी है खे अनुवाद से पता चलता है कि शब्दों से बनी हुई है इसमें तीन अलग-अलग काल की सामग्रियों के प्रमाण मिले हैं यह सिल्क रूट के व्यापारियों के लिए प्रशिक्षण पुस्तिका थी और इसमें गणित के व्यावहारिक अभ्यास हैं जो बीजगणित के समान प्रतीत होता है ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में गणित के प्रोफेसर देखने को मिलता है कि अगर कोई सामान खरीदे और बेचे तो आपके पास क्या बचा जाता है |
Saturday, 8 September 2018
सदियों पहले से शून्य की उपस्थिति
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