Friday, 7 September 2018
अश्वं नैव गजं नैव व्याघ्रं नैव च नैव च |
अजापुतरं बलिं दघात देवो दुर्बल घातकः ||
अथार्त :-बलि किसकी दें ? अश्व की ? नहीं हाथी की ? नहीं शेर की ? नहीं नहीं | बकरी के बच्चे की बाकि दें ,क्यूंकि देवता भी दुर्बलों पर घात करते हैं |
अजापुतरं बलिं दघात देवो दुर्बल घातकः ||
अथार्त :-बलि किसकी दें ? अश्व की ? नहीं हाथी की ? नहीं शेर की ? नहीं नहीं | बकरी के बच्चे की बाकि दें ,क्यूंकि देवता भी दुर्बलों पर घात करते हैं |
नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे
त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोहम् ।
महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे
पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते ।।१।
प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता
इमे सादरं त्वां नमामो वयम्
त्वदीयाय कार्याय बध्दा कटीयं
शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये ।
अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिं
सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत्
श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्ण मार्गं
स्वयं स्वीकृतं नः सुगं कारयेत् ।।२।।
समुत्कर्षनिःश्रेयस्यैकमुग्रं
परं साधनं नाम वीरव्रतम्
तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा
हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्रानिशम् ।
विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर्
विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम् ।
परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं
समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम् ।।३।।
भारत माता की जय ।।
परोपकाराय फलन्ति वृक्षः ,
परोपकाराय वहन्ति नध:|
परोपकाराय दुहन्ति गाव:,
परोपकारार्थम्मिद्म् शरीरं ||
आथर्त ---दुसरो की भलाई के लिए वृक्ष फल देते हैं | | दूसरों को जल देने के लिए नदियां बहती है | गाय भी दूसरों के लिए दूध देती है | भगवन ने हमें जो शरीर दिया है यह भी परोपकार करने के लिए दिया है | हमें अपने शरीर को समाज कलयाण में लगाना चाहिए |
परोपकाराय वहन्ति नध:|
परोपकाराय दुहन्ति गाव:,
परोपकारार्थम्मिद्म् शरीरं ||
आथर्त ---दुसरो की भलाई के लिए वृक्ष फल देते हैं | | दूसरों को जल देने के लिए नदियां बहती है | गाय भी दूसरों के लिए दूध देती है | भगवन ने हमें जो शरीर दिया है यह भी परोपकार करने के लिए दिया है | हमें अपने शरीर को समाज कलयाण में लगाना चाहिए |